आर्य भाषा
वैदिक संस्कृत
पाली संस्कृत
महाराष्ट्री प्राकृत
शौरसेनी प्राकृत
मागधी प्राकृत
गुर्जरी अपभ्रंश :- राजस्थानी
शौरसेनी अपभ्रंश :- हिन्दी
डिंगल :- पं. राजस्थानी का साहित्यिक रूप
पिंगल :- पूर्वी राजस्थानी का साहित्यिक रूप इसमें ब्रज भाषा का मिश्रण पाया जाता हैं।
राजस्थानी भाषा का विकासः
– गुर्जरी अपभ्रंश- 11वीं से 13वीं शताब्दी .
प्राचीन राजस्थानी – 13वीं से 16वीं शताब्दी (जैन साहित्य) .
मध्यकालीन राजस्थानी- 16वीं से 18वीं शताब्दी (चारण साहित्य) .
आधुनिक राजस्थानी- 18वीं —- .
राजस्थानी साहित्य का प्राचीनतम ग्रंथ- भरतेश्वर बाहुबली घोर, (वज्रसेन सूरी) जैन ग्रन्थ .
उद्योतन सूरि ने अपनी पुस्तक कुवलयमाला में मरू भाषा का उल्लेख किया हैं। (18 देसी भाषाओं का उल्लेख)
अबुल फजल भी मारवाड़ी भाषा का उल्लेख करता हैं।
जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन 1912 में लिखी अपनी पुस्तक LINGVISTIC SURVEY OF INDIA में राजस्थानी भाषा का उल्लेख किया हैं।
- 1. सारंगधर – हम्मीर रासौ
- 2. जोधराज – हम्मीर रासौ
- 3. श्रीधर – रणमल छन्द, इसमें ईडर के राजा रणमल व पाटन के सूबेदार जफर खां के बीच युद्ध को वर्णन है।
- 4. चन्दबरदाई (वास्तविक नाम पृथ्वीराज भट्ट) – पृथ्वीराज रासौ (पिंगल भाषा शैली में रचित ग्रन्थ) इसका पहला प्रामाणिक उल्लेख राजप्रशस्ति महाकाव्य में मिलता हैं।
- 5. दलपत विजय – खुमाण रासौ, इसमें बापा रावल से महाराणा राजसिंह तक का वर्णन हैं। 6. गिरधर आसिया – सगतसिंघ रासौ, इसमें महाराणा प्रताप के भाई शक्तिसिंह का वर्णन हैं।
- 7. डूंगरसिंह – शत्रुसाल रासौ (बूंदी)
- 8. आशानन्द (भादरेस) – गोगाजी री पेडी, बाघा रा दहा, उमादे भटियाणी रा कवित।
- 9. ईसरदास (आशानन्द जी के भतीजे) – हाला झाला री कुण्डलिया, सूर ।
- 10. केशदास गाडण – 1. गुणरूपक 2. अमरसिंह जी रा दूहा 3.विवेक वार्ता (उपनिषदों पर लिखित कृति)
- 11. शिदास गाडण – ‘अचलदास खिंची री वचनिका’ (गागरोन का वर्णन)
- 12. उमरदान – 1. अमल रा औगण 2. दारू रा दौस 3. भजन री महिमा
- 13. पृथ्वीराज राठौड़ – बेलि क्रिसण रूक्मणि री 2. गंगा लहरी 3. दशम भागवत रा दूहा, ठाकुरजी रा दूहा 4. दशरथ वराउत
- 14. करणीदान
- – सरूज प्रकाश- जोधपुर महाराजा अभयसिंह वगुजरात के सूबेदार सर बुलन्द खां के बीच युद्ध का वर्णन हैं।
- – सूरज प्रकाश का संक्षिप्त रूप- बिड़द सिणगार, इस पुस्तक के लिए करणीदान जी को 1 लाख रूपये दिए गए।
- 15. वीरभाण – राजरूपक
- 16. कृपाराम खिड़िया – राजिया रा दूहा “पाटा पीड़ उपाव, तन लागा तलवारिया। वहै जीभ राव
- घाव, रती औषध न राजिया।।”
- 17. जग्गा खिड़िया वचनिका राठौड़ रतनसिंह महेस दासोत री (धरमत के युद्ध में रतलाम रनेश रतनसिंह राठौड़ द्वारा दिखायी गयी अद्भुत वीरता का वर्णन हैं)
- 18. कवि कल्लोल
- – ढोला मारू रा दूहा “अकथ कहानी प्रेम की, मुख सुं कही न जाय। गुंगा रा सुपना भयों, सुमर-सुमर पछतायो।।”
- 19. कुशल लाभ
- – ढोला-मारू री चौपाई 20. बुद्धसिंह
- – नेहतंरंग
- 21. सूर्यमल्ल मिश्रण – वंश भास्कर, वीर सतसई, बलवन्त विलास, सती रासौ, छन्द मयूख,
- धातु रूपावली, राम रंजाट “सुत धारा रज-रज थिथों, बहू बलेवा जाय। लखिया डूंगर लाज रा, सासू उर न समाय।।”
- 22. बीठू सूजा
- – राव जैतसी रो छन्द (इसमें बीकानेर के राजा जैतसिंह व कामरान के बीच हुये ‘रातीघाटी के युद्ध’ का वर्णन)
- 23. बांकीदास – 1. बांकीदास री ख्यात, कुकवि बतीसी, दात्तार बावनी, मान जसो मंडन
- 24. मुरारिदास – जसवन्त जसो भूषण
- 25. मुहणौत नैणसी
- – नैणसी री ख्यात, मारवाड़ रा परगना री विगत (जनगणना का उल्लेख मिलता हैं।)
- – मुंशी देवी प्रसाद ने इन्हें ‘राजपूताने का अबुल-फजल’ कहा हैं।
- 26. न पति नाल्हा – बीसलदेव रासौ (विग्रहराज चतुर्थ)
- 27. नल्लसिंह – विजयपाल रासौ (करौली)
- 28. हम्मीर (रणथम्भौर का राजा) – श्रंगार हार
- 29. दयालदास – बीकानेर रा राठौड़ा री ख्यात। (राव बीका से सरदारसिंह तक का वर्णन)
- 30. बख्तावर जी – केहर प्रकाश
- 31. सवाई प्रतापसिंह – केहर ग्रन्थावली
- 32. दुरसा आढा – विरूद्ध छतहरी, किरतार बावनी, राव सुरताण रा कवित
- 33. बादर ढाढ़ी
- 34. वृन्द
- 35. दयाल
- 36. खेतसी साडूं
- 37. जगजीवन भट्ट
- 38. जोगीदास
- 39. किशोदास
- 40. साँया जी झूला
- 41. कल्याणदास
- 42. नरहरिदास
- 43. कविजान
- – वीरभाण (मारवाड़ के राजा वीरमदेव की वीरता का वर्णन हैं।)
- – सत्य स्वरूप (औरंगजेब के पुत्रों के बीच हुये उतराधिकार संघर्ष का वर्णन हैं।)
- – श्रंगार शिमा – राणा रासौ (बापा रावल से लेकर जयसिंह तक का वर्णन हैं।)
- – भाषा भारथ (महाभारत का डिगंल में अनुवाद)
- – अजितोदय
- – हरिपिंगल प्रबन्ध (प्रतापगढ़ के राजा हरिसिंह के बारें में वर्णित)
- – राजप्रकाश
- – नागदमण
- – गुण गोविन्द –
- अवतार चरित्र
- – काथमरासौ, बुधि सागर, लैला-मजनूँ
आधुनिक राजस्थानी साहित्य
1. श्रीलाल नथमल जोशी – 1. एक बीनणी दो बींद, परण्योड़ी कुंवारी, सबड़का, आभै पटकी, घोरां रो घोरी
2. विजयदान देथा – बातां री फुलवारी, तीडो राव, मां रो बदलो, हिटलर, अलेखू दूविधा
3. लक्ष्मी कुमारी कुडांवत – माँझल राव, अमोलक बाता, कै रे चकवा बात, गिर ऊंचा ऊंचा गढ़ा, राजस्थान की प्रेम कहानियां, हुंकारो दो सा, बाघा-भारमली, बगड़ावत, मूमल, टाबरां री बात, डूंगरजी जवाहरजी री बात
4. कन्हैया लाल सेठिया – धरती धोरां री, लीलटास, पाथल और पीथल, कुकू मिजंर, निर्ग्रन्थ
5. यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र – हूं गोरी किग पीव री, खम्भा अन्नदाता, हजार घोड़ो का सवार, तास रो घर, जमारो, मेहंदी के फूल, जोग-संजोग, एक और मुख्यमंत्री
6. मेघराज मुकुल – उमंग, सैनाणी, चंवरी
7. रांगेय राघव – घरौदे, मुर्दो का टीला, कब तक पुकारूँ, आज की आवाज
8. गौरीशंकर हिराचन्द ओझा – प्राचीन लिपिमाला, कर्नल जेम्स टॉड का जीवन चरित्र, राजपूताने का इतिहास 9. जहूर खां मेहर – राजस्थानी संस्कृति रा चितराम, अर्जून आकी आंख, घर जला घर कोसां
10. चन्द्रसिंह बिरकाली – बादली (कालिदास के मेघदूत का राजस्थान अनुवाद), लू, सांझ बालासाद, कह- मुकरनी।
11. नारायणसिंह भाटी – मीरा, परमवीर, दुर्गादास, बरसा रा डिगोड़ा डूंगर लाँधिया
12. सीताराम लालस – राजस्थानी शब्दकोष
13. हरिराम मीणा – हां चाँद मेरा हैं।
14. मणिमघुकर – पगफेरो सुधि सपनों के तीर, रसगन्धर्व
15. चन्द्रधर शर्मा गुतेरी
16 श्यामलदास
– वीर विनोद(शम्भूसिंह के समय लिखना शुरू किया था तथा फतेह सिंह के समय पूरी की गयी।) (वीर विनोद मेवाड़ का इतिहास हैं। परन्तु इसमें अन्य इतिहास की भी समकालीन जानकारियाँ मिलती हैं।)
1/ रेक्तदान चारण बरखा बीनणी, नेहरू ने ओलमो
2. विचन्द्र भरतिया – कनक सुन्दरी (उपनयास) केसर विलास (नाटक)
3. हमीदुल्ला – भारमली, दरिन्दे, ख्याल
4. कुन्दन माली – सागरं पांखी
5. हीरालाल शास्त्री – प्रत्यक्ष जीवन शाम
6. सावित्री परमार – जमी हुयी झील (मीरा पुरस्कार)
– राजस्थानी भाषा एवं साहित्य अकादमी – बीकानेर
– राजस्थान साहित्य अकादमी – उदयपुर